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भाषा शिक्षण के सूत्र और विधियाँ

           दूसरों को सिखाने के लिए दिशा निर्देश देने तथा अन्य प्रकार से उन्हें निर्देशित करने की प्रक्रिया को शिक्षण कहते हैं। यह एक उद्देश्य निर्देशित क्रिया होती है, जिसमें सीखने के लिए सही मार्गदर्शन, दिशाबोधन और उत्साह द्वारा प्रेरित किया जाता है। यह एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें शिक्षक ज्ञान देने के लिए अनेक क्रियाएँ करता है और छात्रों के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। ज्ञान देने की यही क्रियाएँ शिक्षण सूत्र या विधियाँ कहलाती हैं। आमतौर पर एक ही विषय या चीज़ को पढ़ाने के बहुत से तरीके हो सकते हैं, जिनके द्वारा एक शिक्षक छात्रों के मानसिक स्तर, उनकी आवश्यकताओं और शिक्षण की आवशयक्ताओं को ध्यान में रखते हुए ज्ञान देता है। इसलिए ही शिक्षण को एक कौशलात्मक क्रिया कहते हैं, क्यूंकि यह शिक्षक का कौशल ही है जिसके द्वारा वह सही समय पर सही विधि या सूत्र द्वारा छात्रों को सही शिक्षा देता है। सही और सार्थक शिक्षण के लिए कुछ शिक्षण सूत्र और विधियाँ इस प्रकार से हैं – ज्ञात से अज्ञात की ओर - प्राथमिक स्तर यह विधि सबसे अधिक लोकप्रिय होती है। छोटे बच्चों को शिक्षण के प्रति उत्साह

Teaching as a planned activity its elements and assumption (शिक्षण एक नियोजित प्रक्रिया तत्व एवम्‌ कल्पना)

Introduction                 शिक्षा से तात्पर्य एक ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें एक व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को सूचित किया जाता है या उन्हें ज्ञान प्रदान किया जाता है संसार के सभी व्यवस्थाएं में शिक्षण को अति आदरणीय व्यवसाय माना गया है, जो ना केवल बालक को सर्वांगीण विकास करती है बल्कि समाज का पुनर्गठन राष्ट्र का निर्माण तथा कुशल नागरिकों का निर्माण करती है। यह तभी संभव है जब शिक्षण प्रक्रिया को नियोजित रूप से किया जाए ।  Meaning of Teaching                       

What is Research? Explain Type, Nature And Step Of Educational Research.

Definition and characteristics of research घटनाओं संबंधी उद्देश्य पूर्ण प्रश्नों के वैज्ञानिक रीती द्वारा विधिवत हल ढूंढने के प्रयासों को ही अनुसंधान कहा जाता है। अनुसंधान में शोधकर्ता एक नियंत्रित प्रदान एवं आर्थिक अनुसंधान करता है जिसे प्राप्त निष्कर्ष अधिक निर्भय योग्य होते हैं।           रुएलिंगर ने वैज्ञानिक शोध की परिभाषा देते हुए कहा है," स्वभाविक घटना जो एक क्रमबद्ध नियंत्रित अनुभूति एवं आलोपचायक अनुसंधान जो घटनाओं के बीच कल्पित संबंधों के बीच सिद्धांतों एवं और कल्पनाओं द्वारा निर्देशित होता है शोध कहलाता है। "           बेस्ट एवं काहून के शब्दों मे

इंटर्नशिप रिपोर्ट

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 यह एक सैंपल है जिसके आधार पर आप सभी अपने अपने विद्यालय का इंटर्नशिप रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं।

What is behaviorism? व्यवहारवाद क्या है?

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द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद राजनीति शास्त्र के क्षेत्र में जिस नए दृष्टिकोण का जन्म हुआ, वह है-व्यवहारवादी दृष्टिकोण, द्वितीय विश्व युद्ध से पहले राजनीति शास्त्र का अध्ययन परम्परावादी दृष्टिकोण से किया जाता था। इस दृष्टिकोण के दोषों तथा सैद्धान्तिक कठोरता के सभी जागरुक राजनीतिक विश्लेषकों में वैचारिक असंतोष को जन्म दिया। इस वैचारिक असंतोष के कारण ही व्यवहारवादी आन्दोलन का जन्म हुआ। इस आन्दोलन ने मानवीय व्यवहार को राज्य और राजनीतिक संस्थाओं के पाश से बाहर निकालकर स्वतन्त्र रूप से अध्ययन का केन्द्र बिन्दु बनाया। इस व्यवहारवादी क्रान्ति ने राजनीति शास्त्र के लक्ष्य, स्वरूप, विषय क्षेत्र आदि सभी को बदल डाला। इसके परिणामस्वरूप राजनीति विज्ञान में अनुभववादी ( Empirical ) विधियों का प्रयोग शुरू हुआ और राजनीति शास्त्र तथा समाज विज्ञानों में आपसी सम्बन्धों में निकटता आई। इसने राजनीति शास्त्र को संस्थागत, कानूनी तथा दार्शनिकता की सीमा से बाहर निकालकर नया रूप दिया। इसने राजनीति शास्त्र को न केवल राजनीति-विज्ञान बना दिया, बल्कि इसे राजनीति का विज्ञान भी बनाने का प्रयास किया। व्यवहार का अर्थ द्व

रामनवमी के अवसर पर श्रीराम के चरण में सादर समर्पित।।

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।। पतित पावन नाम के, सब भजियौ सीताराम के। संगहि वीर हनुमान के, सब भजियौ सीताराम के।। त्रेतायुग में जन्म जे लेला, राजा दशरथ के पुत्र कहेला कौशिल्या के प्रिय प्राण के, सब भजियौ सीताराम के।। चौदह वरष वनवास जे गेला पिता वचन के पूर्ण निभेला, धारण केने छथि जे धनुषबाण के सब भजियौ सीताराम के।। पीताम्बर जिनका अछि शोभित, नाना अलंकार सेहो विभूषित कमलनयन के संगहि वर्ण श्याम के, सब भजियौ सीताराम के।। मोह के नाश ई छथि करथि, सगरो संसार के आनंदित करथि, परम सुंदर ओइ भगवान के, सब भजियौ सीताराम के।। दशानन के जे संहारलथि विभीषण के राज दियौलथि बचौलैथि जानकी के सम्मान के सब भजियौ सीताराम के।। ✍️ सुमन

परदेसिया करोना

शहर छोइर क जाइ छियै गाम, रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम। जहिया स बन्द भेलैय काम, रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम।।                         जा क परदेश जे करै देहारी,                         दिन भैर खटै तहन भेटै सोहारी।                         सर्दी गर्मी जेकरा लेल समान,                         रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम।। शहर में बंद भेलै सबटा काज धाज, नै छै केकरो ओहन ओ राज साज। सब भ गेल छै आदमी आम, रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम।।                            दूर दूर स लोक सब पैदलै चलल,                         जेकरा छै साईकिल मारलक पैडल।                         सब बढ़ाबा अपन डेग थाइम थाइम,                         रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम।। रहै  सब लकअ कमरा किराया, मालिक के नै छै दरेग ओ दाया। आब जीवन त लागै हराम, रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम।।                         सरकारी जोगार नै कोनो तेहेन सन,                     ओकरा लय छय सब ओहिना धन सन।                          कराबी कत्ते अपन अपमान,                         रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम।।