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What is behaviorism? व्यवहारवाद क्या है?

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द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद राजनीति शास्त्र के क्षेत्र में जिस नए दृष्टिकोण का जन्म हुआ, वह है-व्यवहारवादी दृष्टिकोण, द्वितीय विश्व युद्ध से पहले राजनीति शास्त्र का अध्ययन परम्परावादी दृष्टिकोण से किया जाता था। इस दृष्टिकोण के दोषों तथा सैद्धान्तिक कठोरता के सभी जागरुक राजनीतिक विश्लेषकों में वैचारिक असंतोष को जन्म दिया। इस वैचारिक असंतोष के कारण ही व्यवहारवादी आन्दोलन का जन्म हुआ। इस आन्दोलन ने मानवीय व्यवहार को राज्य और राजनीतिक संस्थाओं के पाश से बाहर निकालकर स्वतन्त्र रूप से अध्ययन का केन्द्र बिन्दु बनाया। इस व्यवहारवादी क्रान्ति ने राजनीति शास्त्र के लक्ष्य, स्वरूप, विषय क्षेत्र आदि सभी को बदल डाला। इसके परिणामस्वरूप राजनीति विज्ञान में अनुभववादी ( Empirical ) विधियों का प्रयोग शुरू हुआ और राजनीति शास्त्र तथा समाज विज्ञानों में आपसी सम्बन्धों में निकटता आई। इसने राजनीति शास्त्र को संस्थागत, कानूनी तथा दार्शनिकता की सीमा से बाहर निकालकर नया रूप दिया। इसने राजनीति शास्त्र को न केवल राजनीति-विज्ञान बना दिया, बल्कि इसे राजनीति का विज्ञान भी बनाने का प्रयास किया। व्यवहार का अर्थ द्व

CUMULATIVE RECORDS (संचित अभिलेख)

Introduction:- संचित अभिलेख (Cumulative records)  निर्देशन प्रक्रिया में व्यक्ति या विद्यार्थी के अध्ययन के लिए अनिवार्य है। इस अभिलेख (Record) के अभाव में कोई भी अध्यापक या निर्देशन प्रदान करने वाला व्यक्ति किसी भी विद्यार्थी के व्यक्तित्व, उसके व्यवहारों तथा उसकी योग्यताओं से परिचित नहीं हो पाएगा। अतः संचित अभिलेख के बिना निर्देशन कार्यक्रम दिशा विहीन हो कर रह जाएगा।  MEANING OF CUMULATIVE RECORD CARD:-  'संचित अभिलेख' शब्द उन सभी प्रकार के अभिलेखों के लिए प्रयोग किया जाता है जिसमें किसी विद्यार्थी के बारे में कई वर्षों तक लाभदायक और विश्वसनीय सूचना एकत्रित करने की व्यवस्था होती है ताकि स्कूल छोड़ते हुए उसकी शैक्षिक, व्यावसायिक और व्यक्तिक-सामाजिक प्रकृति की समस्याओं के समाधान में सहायता की जा सके। According to Allen:- “The humility record is a record of information concerned with appraisal (मूल्यांकन) of the individual pupil, usually, kept on a card and in one place." (“संचित अभिलेख सूचनाओं का वह अभिलेख है जिनका संबंध विद्यार्थी के मूल्यांकन से हो

Inclusive Education (समावेशी शिक्षा और व्यक्तिगत अंतर पर अध्ययन )

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समावेशी शिक्षा और व्यक्तिगत अंतर पर अध्ययन        जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत सरकार ने भारतीय संविधान आर.टी.ई अधिनियम 2009 के तहत 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों के लिए उनकी जाति, धर्म, लिंग, रंग, विकलांगता और भाषा के बावजूद पहले से ही नि:शुल्‍क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया है। इस तरह, शिक्षा की मुख्यधारा में विभिन्‍न समुदायों अर्थात् अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विकलांग बच्चों और लड़कियों सभी को शिक्षा दी गई। सभी के लिए शिक्षा समावेशी शिक्षा की अवधारणा पर कार्य करती है। समावेशी शिक्षा:        समावेशी शिक्षा का एक प्रकार है जहां सभी बच्‍चों को उनकी जाति, धर्म,  रंग, लिंग और विकलांगता के बावजूद शिक्षा प्रदान की जाती है। समावेशी शिक्षा सभी शिक्षार्थियों के लिए एक समान वातावरण प्रदान करती है।   भारत में समावेशी शिक्षा का इतिहास : जिला शिक्षा कार्यक्रम, 1985 राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 विकलांग हेतु एकीकृत शिक्षा, 1987 में शुरू हुई एक परियोजना सर्व शिक्षा अभियान, 2000 2020 तक सभी स्‍कूलों को ‘अक्षम मित्रतापूर्ण’ बनाना….(2005)