Posts

Showing posts from 2020

What is behaviorism? व्यवहारवाद क्या है?

Image
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद राजनीति शास्त्र के क्षेत्र में जिस नए दृष्टिकोण का जन्म हुआ, वह है-व्यवहारवादी दृष्टिकोण, द्वितीय विश्व युद्ध से पहले राजनीति शास्त्र का अध्ययन परम्परावादी दृष्टिकोण से किया जाता था। इस दृष्टिकोण के दोषों तथा सैद्धान्तिक कठोरता के सभी जागरुक राजनीतिक विश्लेषकों में वैचारिक असंतोष को जन्म दिया। इस वैचारिक असंतोष के कारण ही व्यवहारवादी आन्दोलन का जन्म हुआ। इस आन्दोलन ने मानवीय व्यवहार को राज्य और राजनीतिक संस्थाओं के पाश से बाहर निकालकर स्वतन्त्र रूप से अध्ययन का केन्द्र बिन्दु बनाया। इस व्यवहारवादी क्रान्ति ने राजनीति शास्त्र के लक्ष्य, स्वरूप, विषय क्षेत्र आदि सभी को बदल डाला। इसके परिणामस्वरूप राजनीति विज्ञान में अनुभववादी ( Empirical ) विधियों का प्रयोग शुरू हुआ और राजनीति शास्त्र तथा समाज विज्ञानों में आपसी सम्बन्धों में निकटता आई। इसने राजनीति शास्त्र को संस्थागत, कानूनी तथा दार्शनिकता की सीमा से बाहर निकालकर नया रूप दिया। इसने राजनीति शास्त्र को न केवल राजनीति-विज्ञान बना दिया, बल्कि इसे राजनीति का विज्ञान भी बनाने का प्रयास किया। व्यवहार का अर्थ द्व

रामनवमी के अवसर पर श्रीराम के चरण में सादर समर्पित।।

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।। पतित पावन नाम के, सब भजियौ सीताराम के। संगहि वीर हनुमान के, सब भजियौ सीताराम के।। त्रेतायुग में जन्म जे लेला, राजा दशरथ के पुत्र कहेला कौशिल्या के प्रिय प्राण के, सब भजियौ सीताराम के।। चौदह वरष वनवास जे गेला पिता वचन के पूर्ण निभेला, धारण केने छथि जे धनुषबाण के सब भजियौ सीताराम के।। पीताम्बर जिनका अछि शोभित, नाना अलंकार सेहो विभूषित कमलनयन के संगहि वर्ण श्याम के, सब भजियौ सीताराम के।। मोह के नाश ई छथि करथि, सगरो संसार के आनंदित करथि, परम सुंदर ओइ भगवान के, सब भजियौ सीताराम के।। दशानन के जे संहारलथि विभीषण के राज दियौलथि बचौलैथि जानकी के सम्मान के सब भजियौ सीताराम के।। ✍️ सुमन

परदेसिया करोना

शहर छोइर क जाइ छियै गाम, रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम। जहिया स बन्द भेलैय काम, रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम।।                         जा क परदेश जे करै देहारी,                         दिन भैर खटै तहन भेटै सोहारी।                         सर्दी गर्मी जेकरा लेल समान,                         रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम।। शहर में बंद भेलै सबटा काज धाज, नै छै केकरो ओहन ओ राज साज। सब भ गेल छै आदमी आम, रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम।।                            दूर दूर स लोक सब पैदलै चलल,                         जेकरा छै साईकिल मारलक पैडल।                         सब बढ़ाबा अपन डेग थाइम थाइम,                         रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम।। रहै  सब लकअ कमरा किराया, मालिक के नै छै दरेग ओ दाया। आब जीवन त लागै हराम, रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम।।                         सरकारी जोगार नै कोनो तेहेन सन,                     ओकरा लय छय सब ओहिना धन सन।                          कराबी कत्ते अपन अपमान,                         रे भैया भोजन के नै छय इंतजाम।।                

लॉकडाउन का पालन

लॉकडाउन को सफल बनाकर, दो मानवता का परिचय तुम। घर के अंदर ही रहकर, दो साक्षरता का परिचय तुम।।                           चाहे हो तुम्हे काम अनेक,                           पर दिखाओ थोड़ा विवेक।                           घर के बाहर घूम घूम कर                           मत बनो मानवता के दुश्मन तुम।। सरकार ने चलाई है मुहिम, लोगो तक न पहुँचे डॉक्टर हकीम। खुद की ना हो परवाह तो, परिवार समाज का सोचो तुम।।                           सोचो समझो जरा यह संदेश,                           बनो जरा तुम भी दूरंदेश।                           मानकर इसको अग्निपरीक्षा,                           जीवन की भीक्षा दे दो तुम।।                                ✍️ सुमन 

करोना काल

रुक जा,थम जा कोरोना बेईमान, नही तेरे जैसा कोई शैतान। तूने लोगों को किया बहुत परेशान, मुश्किल है करना तेरा निदान।।                              तू तो है पापी ऐसा,                              नही दूजा कोई तेरे जैसा।                              फैला हैं तू तो सारा जहान,                              मुश्किल है करना तेरा निदान।। तेरे संपर्क में जो आएगा, जीवन नरक हो जाएगा। कर दिया कितनो का काम तमाम, मुश्किल है करना तेरा निदान।।                            तुझसे ग्रसित चीजों को,                            हाथों से जो लगाएगा,                            एक पल में ही उसको,                            सर्दी खाँसी आएगा,                            देकर दरद तुम करोगे बेचैन                            मुश्किल है करना तेरा निदान।। तूने तो छीना है सबका हर्ष, मजबूर हैं सब करने को संघर्ष। कहाँ तू जन्मा,है किसकी संतान, मुश्किल है करना तेरा निदान।। ✍️ सुमन

राष्ट्रहित एवं जनहित में कार्य करने वाले तमाम लोगो को समर्पित

ये कैसी प्रलय घड़ी आयी है, कितनों ने प्राण गंवायी है। घर से बाहर ना जाने को, इंसानों ने कसमें खायी है।। चाहे भारत हो या विदेश, सूना पर गया सारा देश। फैला कर जन जन में संदेश, जान बचाना मात्र उद्देश्य।। धन्य हैं डॉक्टर मतवाले, लोगों की जान बचाने वाले। निश्छल भाव से सेवा करते, प्राणों की आहुति से नहीं डरते।। ये भी हैं भारत की संतान, लोग कहते जिसे पुलिस जबान। डर,भय से रक्षा करना इनका काम, आओ मिलकर करें इन्हें सलाम।। सुनो भाई कर्मियों सफाईवाले, तुम्हे नही हम भुलनेवाले। तुम करते हो यह कार्य विशेष, साफ सफाई का फैलाते संदेश।। किसान भाई का काम निराला, अन्न उपजा कर देते निवाला। खेती करना नही काम आसान, हम सब करते बारम्बार प्रणाम।। ✍️ सुमन

प्रेमी युगलों को समर्पित

सुनो बाबू,सुनो सोना, अभी तुम भी मत मिलना। वरना फैलेगा ये कोरोना, बड़ी जोर से।। ये बीमारी है महामारी, इसमे सबकी है लाचारी। हम भी रहेंगे अभी दूर दूर ना, सुनो बाबू,सुनो सोना।। अभी केवल करेंगे फ़ोन, वीडियो कॉलिंग रखना ऑन। डेटा पैक ही पड़ेगा डलवाना, सुनो बाबू,सुनो सोना।। स्कूल कॉलेज से बन गयी दूरी, घर पे रहना अपनी मजबूरी। ट्यूशन जाना भी हो गया है बन्द ना, सुनो बाबू,सुनो सोना।। हम भी रहेंगे घर में कैद, वरना नाराज होंगे डैड। नही तो मम्मी भी मारेगी बेलना, सुनो बाबू,सुनो सोना।। ✍️ सुमन

कोरोंना का तूफान

ये देखो आया तूफान, कोरोना दिया है जिसका नाम। जिसने दिन को भी बनाया रैन, डर से इसके सब हैं बेचैन।। सर्दी खाँसी इसकी शुरुआत, बाद में दर्द भी मिले सौगात। इसकी अंतिम इक्षा लेना प्राण, ये देखो आया तूफान।। जिसने चीन को रुलाया, जिसने जापान को डराया। इटली को जिसने किया सुनसान, ये देखो आया तूफान।। इसने भारत में दी दस्तक, डर फैला है मस्तक मस्तक। गाँव शहर सब कर दिया वीरान, ये देखो आया तूफान।। इसका न कोई इलाज, ठप कर दिया काम काज। ईश्वर ही कर सकते कल्याण, ये देखो आया तूफान।। ✍️ सुमन

कोरोना के लेल हमर लिखल माई स विनती

हे मैया आइब गेलई ई कोरोनमा ना, तोहर संतानक दुश्मनमा ना।। सब लोक के देलक डराय, सबके क देलक असहाय। सगरो दुनिया में ई पसरनमा ना, तोहर संतानक दुश्मनमा ना।। लोक के केलक लोक स दूर, घर बैसअ लेल सबके मजबूर। लोक के बांधि रहल बन्धनमा ना, तोहर संतानक दुश्मनमा ना।। ई त लेलक कतेक प्राण, सगरो जग के केलक हैरान। दुर्लभ भ गेल तोहर दर्शनमा ना, तोहर संतानक दुश्मनमा ना।। हे मैया,एकरा दियौ भगाय, एकरा ऊपर बज्जर खसाय। लोक त करत अहि के पूजनमा ना, तोहर संतानक दुश्मनमा ना।। ✍️ सुमन

कोरोना को समर्पित मेरी एक एवं पहली रचना

                           आज कोरोना के कहर ने,                            मचा दिया पूरे देश में कोहराम।                            बन्द हो गयी सारी मंदिरे                            चाहे श्यामा,कृष्ण हो राम।। सुनी पड़ गयी पूरी दुनिया, चाहे बाजार हो या खेत खलिहान। बन्द हो गयी स्कूल,कॉलेज परीक्षा को भी दिया गया विराम।।                            बन्द हो गयी सारी ट्रेनें                            जिसका न कभी हुआ विश्राम।                            अपने घर को जाने खातिर,                            दर दर भटक रहा इंसान।। लगातार करवा कर बारिश, प्रकृति ने भी दिखा दिया ईमान। रोज घटाकर मौसम का तापमान, प्रकृति भी ले रहा खूब इम्तिहान।।                            देखकर ऐसी बदतर हालत,                            सरकार ने जारी किया फरमान।                            बन्द रहें अपने ही मकान में,                            चाहे बच्चे बूढ़े हो या जवान।। रहें सतर्क एवं सुरक्षित, एकमात्र इसका निदान। हमसब संकल्पित होकर करेंगे कोरोना का पूर्ण समाधान।। ✍️ सुमन